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Bk sundarlal bhai anubhavgatha

बी के सुंदर लाल भाई – अनुभवगाथा

हरिनगर, दिल्ली से ब्रह्माकुमार सुन्दर लाल जी अपने अनुभव इस प्रकार सुनाते हैं कि मैंने दिल्ली कमला नगर सेन्टर पर सन् 1956 में आना शुरू किया। सप्ताह कोर्स करने के बाद कोई-न-कोई सेवा में भी समय देने लगा परन्तु यहाँ की जो बुनियादी बात है कि यहाँ भगवान स्वयं पढ़ाते हैं, इस पर निश्चय नहीं था। थोड़े दिनों के बाद जब पता चला कि ब्रह्मा बाबा दिल्ली चान्ना मार्केट के इलाके में ठहरे हुए हैं तो वहाँ जाने का तथा पहली बार ब्रह्मा बाबा से मिलने का सुअवसर मिला। बाबा सन्दली पर बैठे थे और अन्य लोगों के साथ मैं थोड़ी दूर नीचे बैठा था। बाबा ने आत्मा के बारे में ही थोड़ा समझाया और फिर मेरी ओर देखा। जैसे ही बाबा की दृष्टि मुझ पर पड़ी, मेरे अन्दर रूहानियत से भरी कुछ ऐसी ईश्वरीय शक्ति की खींच हुई कि मैं अपने स्थान से उठकर बाबा की गोदी में चला गया। वहाँ कुछ समय के लिए मैं अपने शरीर की सुध-बुध भूल गया, अशरीरीपन तथा अतीन्द्रिय सुख का अनुभव करने लगा। इसके बाद मुझे यह निश्चय हुआ कि यह ज्ञान स्वयं परमपिता परमात्मा शिव, साकार ब्रह्मा बाबा के तन में प्रवेश करके दे रहे हैं। बाबा ने बच्चे, बच्चे कहकर मेरे अन्दर जो बड़ेपन का भान था वह खत्म कर दिया और तब से मैं अपने को शिव बाबा का बच्चा ही समझने लगा।

समाज के सामने एक उच्च आदर्श स्थापित करना है

फिर तो कई बार मधुबन में जाना हुआ और बाबा से मिलना भी हुआ। एक बार मैं बाबा के पास गया तो बाबा ने कहा, “आओ मेरे महावीर बच्चे!” इस पर मैं सोचने लगा कि मैंने कोई ऐसा विशेष कार्य तो किया नहीं, फिर बाबा मुझे महावीर कैसे कह रहे हैं? साथ में यह भी विचार चला कि हो सकता है कि मुझे भविष्य में कोई ऐसा पार्ट बजाना हो जो विशेष कार्य कहा जा सके। कुछ समय के बाद सन् 1960 में जब मेरे दिव्य (गंधर्व) विवाह की बात हुई तो मैंने कहा कि यहाँ पवित्रता का ज्ञान है तो यहाँ शादी करने की कोई बात ही नहीं होनी चाहिए। फिर बाबा के आदेश पर मम्मा ने मुझे समझाया कि अमृतसर की शुक्ला कुमारी की शादी के लिए उसकी लौकिक माता जी बहुत कह रही हैं परन्तु वह कन्या पवित्र जीवन व्यतीत करना चाहती है, इसलिए तुम्हें यह शादी करके पवित्र जीवन व्यतीत करना है और समाज के सामने एक उच्च आदर्श स्थापित करना है। तब मुझे बाबा के वो शब्द याद आये कि मुझे महावीर बनकर इस परीक्षा में पास होकर दिखाना है। इस प्रकार, बाबा के ये शब्द मेरे लिए वरदान सिद्ध हुए और क़दम-क़दम पर इन शब्दों की स्मृति से मुझे अपने लक्ष्य अर्थात् सम्पूर्ण पवित्र जीवन की ओर अग्रसर होने में सफलता मिलती गयी और आज बड़े हर्ष के साथ मैं कह सकता हूँ कि अपने परम प्यारे बापदादा की असीम मदद और शक्ति से मैं इस परीक्षा में पास होकर आगे बढ़ रहा हूँ। दुनिया जिसको असम्भव समझती है वह न सिर्फ सम्भव हुआ है बल्कि बापदादा ने सहज कर दिया है। 

एक बात और बाबा के बारे में मैं बताना चाहता हूँ कि मधुबन में प्रायः मकान निर्माण का कार्य चलता रहता था। हम जब भी वहाँ जाते और बाबा थोड़े खाली होते तो बाबा हमें अपने साथ ले जाकर दिखाते कि बच्चे, अभी यह-यह बना है और आगे ऐसा-ऐसा बनाना है। मैं सोचता था कि बाबा यह सब क्यों बता रहे हैं! तो विचार चला कि इससे भी बाबा मेरे अन्दर अपनेपन की भावना भर रहा है कि मैं यज्ञ का हूँ और यज्ञ मेरा है।

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अनुभवगाथा

Bk hemlata didi hyderabad anubhavgatha

ब्रह्माकुमारी हेमलता बहन ने 1968 में ईश्वरीय ज्ञान प्राप्त किया और तब से अपने जीवन के दो मुख्य लक्ष्यों को पूरा होते देखा—अच्छी शिक्षा प्राप्त करना और जीवन को सच्चरित्र बनाए रखना। मेडिकल की पढ़ाई के दौरान उन्हें ज्ञान और

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Bk sutish didi gaziabad - anubhavgatha

ब्रह्माकुमारी सुतीश बहन जी, गाजियाबाद से, अपने आध्यात्मिक अनुभव साझा करती हैं। उनका जन्म 1936 में पाकिस्तान के लायलपुर में हुआ था और वे बचपन से ही भगवान की प्राप्ति की तड़प रखती थीं। भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद, उनका परिवार

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Dadi rukmani ji anubhavgatha 2

रुकमणी दादी, वडाला की ब्रह्माकुमारी, 1937 में साकार बाबा से मिलीं। करांची से हैदराबाद जाकर अलौकिक ज्ञान पाया और सुबह दो बजे उठकर योग तपस्या शुरू की। बाबा के गीत और मुरली से परम आनंद मिला। उन्होंने त्याग और तपस्या

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Experience with dadi prakashmani ji

आपका प्रकाश तो विश्व के चारों कोनों में फैला हुआ है। बाबा के अव्यक्त होने के पश्चात् 1969 से आपने जिस प्रकार यज्ञ की वृद्धि की, मातृ स्नेह से सबकी पालना की, यज्ञ का प्रशासन जिस कुशलता के साथ संभाला,

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Dadi brijindra ji

आप बाबा की लौकिक पुत्रवधू थी। आपका लौकिक नाम राधिका था। पहले-पहले जब बाबा को साक्षात्कार हुए, शिवबाबा की प्रवेशता हुई तो वह सब दृश्य आपने अपनी आँखों से देखा। आप बड़ी रमणीकता से आँखों देखे वे सब दृश्य सुनाती

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Bk gyani didi punjab anubhavgatha

ब्रह्माकुमारी ज्ञानी बहन जी, दसुआ, पंजाब से, अपने साकार बाबा के साथ अनुभव साझा करती हैं। 1963 में पहली बार बाबा से मिलने पर उन्हें श्रीकृष्ण का छोटा-सा रूप दिखायी दिया | बाबा ने उनकी जन्मपत्री पढ़ते हुए उन्हें त्यागी,

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Bk achal didi chandigarh anubhavgatha

ब्रह्माकुमारी अचल बहन जी, चंडीगढ़ से, 1956 में मुंबई में साकार बाबा से पहली बार मिलने का अनुभव साझा करती हैं। मिलन के समय उन्हें श्रीकृष्ण का साक्षात्कार हुआ और बाबा ने उन्हें ‘अचल भव’ का वरदान दिया। बाबा ने

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Dada chandrahas ji

चन्द्रहास, जिन्हें माधौ के नाम से भी जाना जाता था, का नाम प्यारे बाबा ने रखा। साकार मुरलियों में उनकी आवाज़ बापदादा से पहले सुनाई देती थी। ज्ञान-रत्नों को जमा करने का उन्हें विशेष शौक था। बचपन में कई कठिनाइयों

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Dadi gange ji

आपका अलौकिक नाम आत्मइन्द्रा दादी था। यज्ञ स्थापना के समय जब आप ज्ञान में आई तो बहुत कड़े बंधनों का सामना किया। लौकिक वालों ने आपको तालों में बंद रखा लेकिन एक प्रभु प्रीत में सब बंधनों को काटकर आप

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Bk janak didi sonipat anubhavgatha

ब्रह्माकुमारी जनक बहन जी, सोनीपत, हरियाणा से, जब पहली बार ब्रह्मा बाबा से मिलीं, तो बाबा के मस्तक पर चमकती लाइट और श्रीकृष्ण के साक्षात्कार ने उनके जीवन में एक नया मोड़ लाया। बाबा की शक्ति ने उन्हें परीक्षाओं के

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