Bk vidhyasagar bhai delhi anubhavgatha

बी के विद्यासागर भाई – अनुभवगाथा

दिल्ली से ब्रह्माकुमार विद्यासागर भाई जी कहते हैं कि प्राण प्यारे साकार बाबा से मेरा प्रथम मिलन मई 1964 में माउण्ट आबू में हुआ। मिलन के समय दिल्ली के अन्य भाई-बहनें भी मधुबन हिस्ट्री हॉल में मेरे साथ थे। एक-एक करके सभी भाई-बहनें जो मेरे साथ थे, बाबा से मिले। जब मैं बापदादा की गोद में गया तो आभास हुआ कि मैं विदेही और हल्का हो गया हूँ। ऐसा प्रतीत हुआ कि परमात्मा जो असंख्य मील दूर थे, वे मेरे सामने हैं और अपनी श्वेत किरणों से मुझ आत्मा को धो रहे हैं। वास्तविक रूप से साक्षात् पिता रूप का अपरम-अपार स्नेह व शक्तियों का वरदान प्राप्त हुआ जिसकी बदौलत आज 40 वर्षों से ज्ञान में हूँ। ज्ञानमार्ग में कभी भी निराशा का एहसास नहीं हुआ और पवन-पुत्र हनुमान की तरह हर कार्य में सफलता एवं उत्साह का अनुभव किया।

विकट परिस्थिति में बाप का साथ

सन् 1969 में मैं नेपाल में लौकिक सेवा पर उपस्थित था। वहाँ भी हर रोज़ प्रातः एवं रात्रि कार्य-स्थान पर ही नेपाली भाई-बहनों के साथ क्लास करता था। तब नेपाल में इस ज्ञान-प्रचार की शुरूआत थी। लौकिक सर्विस सिविल इंजीनियर की होने के नाते एक बहुत बड़ी सड़क (राजमार्ग) बनवाने हेतु मुख्य शहर विराट नगर से 75 किलोमीटर दूर जंगलों में मेरी पोस्टिंग (नियुक्ति) हुई। 

उस समय नेपालवासियों में, कई पंडितों और रूढ़िवादियों ने इस ज्ञान के बारे में भ्रांतियाँ यहाँ तक फैला दीं कि वे लोग मुझे जान से मारने को तैयार हो गये थे। नेपाल में विश्वकर्मा पूजा-दिवस बड़े धूमधाम एवं उत्साह से मनाया जाता है। विश्वकर्मा पूजा के दिन भारतीय कॉलोनी में रात्रि को एक बड़ा रोचक कार्यक्रम रखा गया। इस कार्यक्रम का आनन्द लेने के लिए नेपाली लोग भी शामिल होते थे। जो नेपाली लोग मेरी हत्या करने की सोच रहे थे उनके लिए यह सुन्दर अवसर था। मैं बिल्कुल अनभिज्ञ था। जो नेपाली भाई नित्य रात्रि क्लास करते थे, वे उस दिन कुछ अन्य नये भाइयों को अपने साथ लाये और मुझे कहा कि पहले आप इन्हें ज्ञान सुनाइये, तत्पश्चात् यह विश्वकर्मा कार्यक्रम देखेंगे। 

मैंने नये व्यक्तियों को आत्मा और बाबा का परिचय देकर योग की विधि बताना आरम्भ किया तो अचानक ही बहुत तेज़ हवा चली, बादल आये, मूसलाधार वर्षा हुई और विश्वकर्मा कार्यक्रम रद्द हो गया। अगले दिन मुझे वहाँ के विश्वसनीय व्यक्ति से मालूम पड़ा कि उस कार्यक्रम में मुझे प्यार से ले जाकर मारने की योजना 100% तय थी। उसने कहा कि बाबूजी, मुझे यह समाचार उस समय पता पड़ा जब मैं रात्रि विश्राम करने जा रहा था। यह परम सत्य है कि मैं बाबा का हूँ और बाबा मेरा है। वह मेरा पिता भी है और रक्षक भी और रहेगा भी।

बापदादा सदा इकट्ठे ही महसूस होते थे

ऐसे मैं कभी नहीं कहूँगा कि ब्रह्मा बाबा या शिव बाबा अलग होते थे। बापदादा सदा इकट्ठे ही महसूस होते थे। शायद जब बाबा अपने रथ को साफ़-सुथरा करते हों उस समय अलग हों तो मैं कह नहीं सकता। अन्यथा दोनों साथ थे। शिव बाबा नयी दुनिया की स्थापना का कार्य ब्रह्मा द्वारा ही करते हैं। कभी साकार ब्रह्मा द्वारा, कभी अव्यक्त ब्रह्मा द्वारा ये अद्भुत अनुभव हैं। हर योगी-आत्मा इसको अपने पुरुषार्थ अनुसार ही महसूस करती है। शिव बाबा बिना साकार रथ के तो कोई कार्य नहीं करते। अव्यक्त ब्रह्मा द्वारा भी कार्य करते थे जहाँ साकार नहीं पहुंच सके।

हर प्रकार से बाबा ने मेरी पालना की है और कर रहे हैं। मेरे मात, पिता, बन्धु, सखा, शिक्षक, स्वामी, सतगुरु, खिवैया, बच्चा सब कुछ वही हैं। मैं सन्तुष्ट हूँ, खुश हूँ। आखिर में यही कह सकता हूँ:

“तुझको पाकर बाबा मैंने सुख सारा पा लिया 

पाने को अब कुछ ना रहा जब तुझको पा लिया। 

बाबा आज भी तुम कर्म अपना कर रहे हो 

आसमाँ से छत्रछाया हम पर कर रहे हो। 

माता बनकर गोद देते, पिता बनकर वर्सा देते 

इस तन में आकर दोनों मिले इक बाबा है, इक दादा।”

मुख्यालय एवं नज़दीकी सेवाकेंद्र

Didi manmohini anubhav gatha

दीदी, बाबा की ज्ञान-मुरली की मस्तानी थीं। ज्ञान सुनते-सुनते वे मस्त हो जाती थीं। बाबा ने जो भी कहा, उसको तुरन्त धारण कर अमल में लाती थीं। पवित्रता के कारण उनको बहुत सितम सहन करने पड़े।

Read More »
Dadi chandramani ji

आपको बाबा पंजाब की शेर कहते थे, आपकी भावनायें बहुत निश्छल थी। आप सदा गुणग्राही, निर्दोष वृत्ति वाली, सच्चे साफ दिल वाली निर्भय शेरनी थी। आपने पंजाब में सेवाओं की नींव डाली। आपकी पालना से अनेकानेक कुमारियाँ निकली जो पंजाब

Read More »
Dada vishwaratan anubhavgatha

आपका जैसा नाम वैसे ही आप यज्ञ के एक अनमोल रत्न थे। आप ऐसे पक्के ब्रह्मचारी, शीतल काया वाले योगी, आलराउण्ड सेवाधारी कुमार थे जिनका उदाहरण बाबा भी देते कि बाबा को ऐसे सपूत, सच्चे, पक्के पवित्र कुमार चाहिए। दादा

Read More »
Bk pushpa didi nagpur anubhavgatha

ब्रह्माकुमारी पुष्पा बहन जी, नागपुर, महाराष्ट्र से, अपने अनुभव साझा करती हैं कि 1956 में करनाल में सेवा आरम्भ हुई। बाबा से मिलने के पहले उन्होंने समर्पित सेवा की इच्छा व्यक्त की। देहली में बाबा से मिलने पर बाबा ने

Read More »
Bk damyanti didi junagadh anubhavgatha

दमयन्ती बहन जी, जूनागढ़, गुजरात से, 40 साल पहले साकार बाबा से पहली बार मिलीं। उस मुलाकात में बाबा की नज़रों ने उनके दिल को छू लिया और उन्हें आत्मिक सुख का अनुभव कराया। बाबा की मधुर मुस्कान और उनकी

Read More »
Bk geeta didi batala anubhavgatha

ब्रह्माकुमारी गीता बहन का बाबा के साथ संबंध अद्वितीय था। बाबा के पत्रों ने उनके जीवन को आंतरिक रूप से बदल दिया। मधुबन में बाबा के संग बिताए पल गहरी आध्यात्मिकता से भरे थे। बाबा की दृष्टि और मुरली सुनते

Read More »
Dadi allrounder ji

कुमारियों को दादी ऐसी पालना देती थी कि कोई अपनी लौकिक कुमारी को भी शायद ऐसी पालना ना दे पाए। दादी कहती थी, यह बाबा का यज्ञ है, बाबा ही पालना देने वाला है। जो पालना हमने बाबा से ली

Read More »
Dadi rukmani ji anubhavgatha 2

रुकमणी दादी, वडाला की ब्रह्माकुमारी, 1937 में साकार बाबा से मिलीं। करांची से हैदराबाद जाकर अलौकिक ज्ञान पाया और सुबह दो बजे उठकर योग तपस्या शुरू की। बाबा के गीत और मुरली से परम आनंद मिला। उन्होंने त्याग और तपस्या

Read More »
Bk rajni didi - japan anubhavgatha

ब्रह्माकुमारी रजनी बहन का आध्यात्मिक सफर, स्व-परिवर्तन की अद्भुत कहानी है। दिल्ली में शुरू हुई यात्रा ने उन्हें जापान और न्यूयॉर्क में सेवा के कई अवसर दिए। कोबे भूकंप के कठिन समय में बाबा की याद से मिली शक्ति का

Read More »
Bk purnima didi nadiad anubhavgatha

पूर्णिमा बहन, नड़ियाद (गुजरात) से, बचपन में साकार बाबा के साथ बिताए अद्भुत अनुभव साझा करती हैं। बाबा का दिव्य सान्निध्य उन्हें विशेष महसूस होता था, और बाबा के साथ रहना उन्हें स्वर्गिक सुख देता था। बाबा ने उन्हें सेवा

Read More »