BK Achal Didi Chandigarh Anubhavgatha

बी के अचल दीदी – अनुभवगाथा

चण्डीगढ़ की ब्रह्माकुमारी अचल बहन जी अनुभव सुनाती हैं; साकार बाबा से मैं सन् 1956 में मुंबई में पहली बार मिली थी। जब बाबा से मिलन हुआ तो मुझे श्रीकृष्ण का साक्षात्कार हुआ। साथ में रूहानी आकर्षण भी मुझे बहुत खींच रहा था। बाबा ने मुझे देखते ही ‘अचल भव’ का वरदान दिया। मेरा लौकिक नाम चंचल था। प्यारे बाबा ने कहा, आप मेरी अचल बच्ची हो, बाबा का नाम बाला करने वाली हो। मैं स्कूल में टीचर थी, बाबा ने मुझे वरदान में कहा कि आप रूहानी टीचर बन बहुतों को बाप का परिचय दोगी। ईश्वरीय जीवन में वरदान प्राप्ति के नशे और ख़ुशी में रह मैं बाबा की समीपता का अनुभव करती रहती हूँ। मैंने बाबा में शिव बाबा को देखा। उस समय प्रेम विभोर हो मैंने खुशी से बाबा की याद में गीत गाया। बाबा मुझे देख रहे थे और मैं खोयी हुई, रूहानी नशे में रह गीत गा रही थी: “बाबा तुम्हारे कई उपासक कई ढंग से आते हैं, सेवा में बहुमूल्य वस्तुयें ला-लाकर तुम्हें चढ़ाते हैं…।”

 

ऐसी होवनहार बच्चियों की गाड़ी भरकर ले जाऊँ

जब मैं ज्ञान में आयी थी तो बहुत थोड़े सेन्टर थे। उस समय बाबा अमृतसर में आये हुए थे। मेरी दिल हुई कि भगवान के रथ को मैं श्री हरगोविन्दपुर ले जाऊँ जहाँ मैं रहती थी। वहाँ बहुत बाँधेली कुमारियाँ थीं। उनकी आश पूर्ण करने के लिए प्यारे बाबा ने जाना स्वीकार कर लिया। 

प्रातः क्लास में क़रीब 25 कुमारियाँ जो बाबा से मिलकर हर्षित हो रही थीं, उन्होंने खुशी में आकर एक गीत गाया: “निकलेंगी हम शक्तियाँ…।” उन कुमारियों के माता-पिता भी क्लास में आकर बैठे हुए थे। कल्याणकारी बाबा ने उन बच्चियों का उत्साह बढ़ाने के लिए महावाक्य उच्चारण किये कि ऐसी होवनहार बच्चियों की गाड़ी भरकर ले जाऊँगा और सेवा में लगाऊँगा। बाद में उन कुमारियों पर काफ़ी सितम आये परन्तु वे निश्चयबुद्धि, एक बल, एक भरोसे पर मैदान में डटी रहीं और आज उनमें से कई बहनें सेवा में लगी हुई हैं।

ऐसा अनुभव करो कि हम श्री नारायण के साथ घूम रहे हैं

प्यारे बाबा से मैं जब मिली तो चमत्कारी दृश्य था। चकमक मुझ सूई को जैसे खींच रहा था। वह दिव्य मुलाक़ात मेरे लिए अति कल्याणकारी थी। मैंने बाबा का कृष्ण के रूप में साक्षात्कार किया। शिव बाबा का विचित्र पार्ट साकार द्वारा अनुभव किया। बेहद के मालिक प्यारे बाबा सदा बेहद के संकल्पों में ही रहते थे और सारे विश्व की आत्माओं को सामने रख वाणी चलाते थे।

प्यारे बाबा बच्चों को खुश रखने के लिए अपने साथ सैर पर ले जाते थे। रास्ते में जब हम चल रहे होते थे तो हमें भविष्य की स्मृति दिलाते थे कि आप ऐसा अनुभव करो कि हम श्री नारायण के साथ घूम रहे हैं। हमारी आत्मा सतोप्रधान है। मैंने बाबा के निजी पुरुषार्थ को देखकर अग्रलिखित बातों में फालो किया है। अमृतवेले प्यार से बाबा को याद करना, मुरली सुनने के पश्चात् विचार सागर मंथन करना, कर्मणा सेवा प्यार और रुचि से करना, जीवन में निर्बन्धन होने के लिए नष्टोमोहा स्मृतिर्लब्धा की स्टेज का अनुभव करना, आज्ञाकारी बन चलना, गुणग्राही बनना, कभी किसी के अवगुण चित्त पर नहीं रखना, सर्व के हितकारी बन चलना, रहम-दृष्टि का संस्कार जीवन में लाना, परचिन्तन न करना तथा रूहानी नशे में रहना …।

मुख्यालय एवं नज़दीकी सेवाकेंद्र

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Dada Anandkishore Ji

दादा आनन्द किशोर, यज्ञ के आदि रत्नों में से एक, ने अपने अलौकिक जीवन में बाबा के निर्देशन में तपस्या और सेवा की। कोलकाता में हीरे-जवाहरात का व्यापार करने वाले दादा लक्ष्मण ने अपने परिवार सहित यज्ञ में समर्पण किया।

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BK Jagdish Bhai Anubhavgatha

प्रेम का दर्द होता है। प्रभु-प्रेम की यह आग बुझाये न बुझे। यह प्रेम की आग सताने वाली याद होती है। जिसको यह प्रेम की आग लग जाती है, फिर यह नहीं बुझती। प्रभु-प्रेम की आग सारी दुनियावी इच्छाओं को

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Dada Vishwaratan AnubhavGatha

आपका जैसा नाम वैसे ही आप यज्ञ के एक अनमोल रत्न थे। आप ऐसे पक्के ब्रह्मचारी, शीतल काया वाले योगी, आलराउण्ड सेवाधारी कुमार थे जिनका उदाहरण बाबा भी देते कि बाबा को ऐसे सपूत, सच्चे, पक्के पवित्र कुमार चाहिए। दादा

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ब्र.कु. ऐन्न बोमियन

ग्वाटेमाला की सफल उद्योगपति सिस्टर ऐन्न बोमियन जब राजयोग और ब्रह्माकुमारियों के संपर्क में आईं, तो उनका जीवन ही बदल गया। दादी जानकी के सान्निध्य में उन्होंने ईश्वरीय ज्ञान पाया और “गॉड हाउस” बनाया, जहाँ सेवा, मेडिटेशन और शांति का

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BK Santosh Bahan Sant Petersbarg Anubhav Gatha

सन्तोष बहन, ब्रह्माकुमारी मिशन की रूस में निर्देशिका, जिन्होंने बचपन से ब्रह्माकुमारीज़ से जुड़े रहकर रशियन भाषा में सेवा की। मास्को और सेन्ट पीटर्सबर्ग में सैकड़ों आत्माओं को राजयोग सिखाया। जानिए उनके प्रेरणादायक अनुभव।

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BK Pushpal Didi

भारत विभाजन के बाद ब्रह्माकुमारी ‘पुष्पाल बहनजी’ दिल्ली आ गईं। उन्होंने बताया कि हर दीपावली को बीमार हो जाती थीं। एक दिन उन्होंने भगवान को पत्र लिखा और इसके बाद आश्रम जाकर बाबा के दिव्य ज्ञान से प्रभावित हुईं। बाबा

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BK Sudha Didi - Moscow anubhavgatha

ब्रह्माकुमारी सुधा बहन के जीवन की कहानी प्रेरणा देती है—दिल्ली में शुरू हुआ ज्ञान, समर्पण से बढ़ते हुए रूस में सेवा का विस्तार। जानें उनके जीवन की यात्रा, जगदीश भाई और दादी गुलज़ार से प्राप्त मार्गदर्शन, और कैसे उन्होंने कठिनाइयों

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Dadi rukmani ji Anubhavgatha 2

रुकमणी दादी, वडाला की ब्रह्माकुमारी, 1937 में साकार बाबा से मिलीं। करांची से हैदराबाद जाकर अलौकिक ज्ञान पाया और सुबह दो बजे उठकर योग तपस्या शुरू की। बाबा के गीत और मुरली से परम आनंद मिला। उन्होंने त्याग और तपस्या

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BK Suresh pal bhai shimla Anubhavgatha

ब्रह्माकुमार सुरेश पाल भाई जी, शिमला से, 1963 में पहली बार दिल्ली के विजय नगर सेवाकेन्द्र पर पहुंचे और बाबा के चित्र के दर्शन से उनके जीवन की तलाश पूर्ण हुई। 1965 में जब वे पहली बार मधुबन गए, तो

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BK Sister Batul Anubhavgatha

सिस्टर बतूल, एक भौतिकवादी सोच से आध्यात्म की ओर बढ़ीं। तेहरान की राजयोग शिक्षिका की प्रेरणादायक कहानी पढ़ें और जानें उनका ईश्वरीय अनुभव।

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