राजयोग : आत्मा और परमात्मा के बीच का सच्चा संबंध

राजयोग : आत्मा और परमात्मा के बीच का सच्चा संबंध

हर साल 21 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ के अवसर पर करोड़ों लोग स्वयं से जुड़ने के लिए शांति के कुछ पल निकालते हैं। कई लोग पार्क में, बगीचों में इकट्ठा होते हैं, तो कई लोग अपने-अपने घरों में शांति में बैठकर योग का अभ्यास करते हैं। 

इस विशेष दिन, बहुत सारे लोग आसन, प्राणायाम व ध्यान योग की विधियों द्वारा अपने शरीर और मन को शांत करने का अभ्यास करते हैं। ये सभी सुंदर प्रयास शरीर को आराम और मन को संतुलन देते हैं — और इन प्रयासों ने दुनिया भर के अनगिनत लोगों के जीवन को सकारात्मक रूप से बदला है।

हर साल 21 जून को 'अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस' के अवसर पर करोड़ों लोग स्वयं से जुड़ने के लिए शांति के कुछ पल निकालते हैं। कई लोग पार्क में, बगीचों में इकट्ठा होते हैं, तो कई लोग अपने-अपने घरों में शांति में बैठकर योग का अभ्यास करते हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन शारीरिक अभ्यासों के साथ-साथ, एक सौम्य और सहज योग की भी विधि है — जो आत्मिक स्तर पर कार्य करती है।  यह सहज राजयोग ब्रह्माकुमारीज संस्था द्वारा सिखाया जाता है और इसे रोज़मर्रा की जिंदगी में स्वाभाविक रूप से अपनाया जा सकता है।

इसमें किसी विशेष शारीरिक मुद्रा में बैठने, आँखें बंद करने या किसी अलग तरह की तैयारी करने की भी ज़रूरत नहीं होती। इसे आप खाना बनाते हुए, चलते फिरते, काम करते हुए या चुपचाप बैठे-बैठे भी कर सकते हैं।

यह है राजयोगएक सरल लेकिन शक्तिशाली तरीका, जिसमें हम अपने सच्चे आत्मिक स्वरूप को याद करते हैं और स्वयं को परम स्रोत; परमात्मा से जोड़ते हैं।
What is rajyoga really about?

राजयोग का वास्तविक अर्थ क्या है?


राजयोग का मतलब है “श्रेष्ठ जुड़ाव” — यानि आत्मा (मैं) और परमात्मा के बीच का गहरा और श्रेष्ठ सम्बन्ध।

ये न तो शरीर की किसी खास मुद्रा के बारे में है,

न ही साँसों को रोकने या नियंत्रित करने के बारे में है, 

और न ही जबरदस्ती मन को विचारों से खाली करने की कोशिश के बारे में है

राजयोग का सार है — स्मृति व याद।

ये याद करना कि मैं वास्तव में कौन हूँएक शांत, पवित्र और शक्तिशाली चमकती हुई आत्मा।

और याद करना कि मैं किसकी हूँ — उस एक परम सत्ता की, जो सदा शांत है, सदा पवित्र है, सदा शक्तिशाली है। वही परम है, शाश्वत है, शांति का सागर है। और वही सभी आत्माओं का सच्चा परमपिता है।

Rajyoga means building a personal relationship with that supreme being — just like a child feels close to a parent, or a best friend feels connected to their dearest friend.

उस परमात्मा से एक नज़दीक का व्यक्तिगत संबंध अनुभव करना। जैसे एक बच्चा अपने माता-पिता से जुड़ाव महसूस करता है, या कोई अपने सबसे प्रिय मित्र से दिल से जुड़ा होता है — बस वैसा ही प्यारा और आत्मिक संबंध।

आज के समय में राजयोग क्यों ज़रूरी है?


आज हम सुख सुविधाओं और तकनीक से भरी हुई दुनिया में जी रहे हैं, लेकिन फिर भी अंदर ही अंदर थकावट महसूस होती है।
Why do we need rajyoga in today’s world? Despite living in a world of technology and convenience, many feel tired inside.

दिल के किसी कोने में हम अक्सर ऐसा महसूस करते हैं कि हम :

🔹 तनाव में हैं — जबकि सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा होता है।

🔹 खालीपन लगता है — भले ही हम लोगों से घिरे हुए हों।

🔹 कनेक्शन की कमी महसूस होती है — जबकि हम हमेशा ऑनलाइन और कनेक्टेड रहते हैं।

हम अपने इस खालीपन को भरने के लिए कभी खरीदारी करने, कभी मोबाइल चलाने, कभी खाने पीने या कुछ न कुछ हासिल करने में सुकून ढूंढते रहते हैं। पर इन सबको हासिल करने के थोड़ी देर बाद जब खुशियां वापस से कम हो जाती हैं, तो फिर से वही थकान वापस आ जाती है।

आखिर क्यों? 

क्योंकि आत्मा अपनी वास्तविक पहचान को भूल गई है।

हम यह भूल गए हैं कि हम सिर्फ यह शरीर या रोल नहीं हैं — बल्कि हम तो प्रकाशस्वरूप हैं — शाश्वत ऊर्जा और वाइब्रेशन से भरपूर एक आत्मा।

और साथ ही, हम उस परमस्रोत परमात्मा से अपना वास्तविक सम्बन्ध भी भूल गए हैं — वही हैं जो हमें फिर से शांति, शक्ति और सच्चे प्यार से भर सकते हैं।

राजयोग एक ऐसा शांत सेतु है, जो हमें हमारे खोए हुए परम संबंध से फिर से जोड़ता है।

राजयोग एक ऐसा शांत सेतु है, जो हमें हमारे खोए हुए परम संबंध से फिर से जोड़ता है।

चाहे आप पहले से ही खुश और संतुलित महसूस कर रहे हों — यह आपको और भी मजबूत बनाता है। और अगर आप नकारात्मकता, तनाव या दुखों से घिरे हैं — तो यह आपको स्वयं को ऊपर उठाने और अंदर से ठीक होने में मदद करता है।

राजयोग की कौन सी बात इसे खास बनाती है?


राजयोग कोई धर्म, रिवाज़ या परंपरा नहीं है।
“i am not this body. I am a soul — a being of peace. ”

यह स्वयं की एक निजी यात्रा है, जो बस एक आसान सोच से शुरू होती है:

“मैं यह शरीर नहीं हूँ, मैं आत्मा हूँ — शांति स्वरूप हूँ।”

इस समझ के साथ कुछ बदलने लगता है।कहीं भीतर गहराई में शाति का एहसास होने लगता है।

“the supreme is my eternal parent. I belong to that one. ”

जब हम यह याद करते हैं:

“वह परम शक्ति परमात्मा मेरे सच्चे, शाश्वत माता-पिता हैं। मैं उनकी संतान हूँ।”

जब ये याद गहरी होते ही, मन और भी शांत हो जाता है। वो शांति मीठी लगने लगती है। और एक सुरक्षित एहसास बन जाती है।

ये कोई कल्पना नहीं है — ये है स्मृति व याद।एक गहरा आत्मिक अनुभव, जहाँ आत्मा अपने परम स्रोत से बात करती है।

और सबसे खास बात — इसे कोई भी कर सकता है।इसके लिए आपको अपनी दिनचर्या या जिम्मेदारियाँ बदलने की ज़रूरत नहीं है।राजयोग हर पंथ, हर धर्म और हर समाज का सम्मान करता है।

यह आत्मा की बात है — और हर आत्मा को अपने परमपिता को याद करने का अधिकार है।राजयोग, आत्मा की आंतरिक शक्तियों — मन, बुद्धि और संस्कार — द्वारा किया जाने वाला अभ्यास है।

आप इसे चलते-फिरते, खाना बनाते, बच्चे को खिलाते हुए या बिस्तर पर लेटे हुए भी कर सकते हैं।सिर्फ एक मिनट की सच्ची याद भी आपके सफर में शांति, मिठास और स्थिरता ला सकती है —

जैसे पहले से जल रहे दीपक में और रोशनी भर गई हो।

What happens when you practice rajyoga?

राजयोग का अभ्यास करने से क्या होता है?


जब आप स्वयं को अपने सत्य स्वरूप में अनुभव करते हैं और परमात्मा को याद करना शुरू करते हैं, तो:

  • आपके विचार हल्के हो जाते हैं।
  • आपकी भावनाएं स्थिर और संतुलित होने लगती हैं।
  • आप रिएक्ट करना छोड़कर समझदारी से जवाब देने लगते हैं।
  • आपके लिए माफ करना आसान हो जाता है।
  • खुशी के लिए दूसरों पर निर्भर रहना कम हो जाता है।

राजयोग सिर्फ शांति ही नहीं लाता बल्कि — शक्ति भी देता है:

  •  थका देने वाली आदतों को “ना” कहने की शक्ति।
  •  उलझनों में भी शांत और स्थिर रहने की शक्ति।
  •  बिना शर्त, सच्चा निस्वार्थ प्यार करने की शक्ति।
  •  बीती हुई बातों को सरलता से छोड़ देने की शक्ति।

और ये कोई जबरदस्ती किया जाने वाला बदलाव नहीं है — ये स्वाभाविक रूप से, अंदर से होने वाला एक परिवर्तन है।

How does rajyoga actually work?

राजयोग का वास्तविक प्रभाव कैसे होता है?


राजयोग के माध्यम से आत्मा सीधे परमात्मा से जुड़ती है — जैसे किसी दर्पण पर प्रकाश पड़ने उस प्रकाश से मदद मिलती है:

यह कोई थ्योरी नहीं है — इसे महसूस किया जा सकता है।

सिर्फ पाँच मिनट भी कोशिश करें, तो अनुभव जरूर होगा।

शांत बैठें और सोचें:

“मैं एक आत्मा हूँ। मैं शांत स्वरूप हूँ।
मैं अपने परमपिता परमात्मा की ओर देखती हूँ।
दिव्य रोशनी मुझमें समा रही है।मैं सुरक्षित हूँ। मैं संपूर्ण हूँ। मैं स्वतंत्र हूँ।”

शुरुआत में कुछ महसूस न भी हो, तो भी अभ्यास करते रहें।आप पाएंगे कि यह जुड़ाव धीरे-धीरे गहराता जाएगा।

How can i start practicing rajyoga today?
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राजयोग की शुरुआत कैसे करें — आज, अभी, यहीं से


आप अभी से शुरू कर सकते हैं।

आराम से बैठें। शरीर को रिलैक्स करें। और धीरे-धीरे थॉट क्रिएट करें:

“मैं यह शरीर नहीं हूँ। मैं एक शांत आत्मा हूँ।
मैं निराकार ज्योति स्वरूप परमात्मा की संतान हूँ।
मैं उनके प्यार में सुरक्षित हूँ।
मैं उनसे शक्तियां ले रही हूँ।
मैं शक्तिशाली अनुभव कर रही हूँ। मैं हल्का और तरोताजा महसूस कर रही हूँ।”

राजयोग का अभ्यास खुली आँखों के साथ भी किया जा सकता है। दिनभर काम करते हुए ये स्मृति सदा अपने साथ रखें।

यही है राजयोग, एक सच्ची जीवनशैली, जीवन जीने का एक नया तरीका।

राजयोग: स्वयं को जानने, स्वयं से मिलने की सुंदर यात्रा

राजयोग: स्वयं को जानने, स्वयं से मिलने की सुंदर यात्रा


राजयोग का मतलब किसी और जैसा बनने की कोशिश नहीं है।बल्कि ये है वापसी — उस असली “मैं” की ओर।

मैं शांत स्वरूप हूँ। सदा प्यार देने वाली हूँ। एक शाश्वत प्रकाश हूँ।

इस अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर, योग सिर्फ एक बाहरी उत्सव न रह जाए —बल्कि अंदर की उस मधुर वापसी का माध्यम बने।

शांति की ओर लौटना। पवित्रता की ओर लौटना।

वो सबसे सुंदर यात्रा तब शुरू होती है, जब हम स्वयं को और अपने परम संबंध को याद करते हैं।

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