अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर नारी सशक्तिकरण की अद्भुत मिसाल

सदियों से समाज में नारी की भूमिका को परंपराओं, संस्कृतियों और गहरे जमे विश्वासों ने इस प्रकार गढ़ा कि उसे हमेशा पृष्ठभूमि में रखा गया। प्राचीन काल में नारी को देवी के रूप में पूजा जाता था, वह ज्ञान और शक्ति की प्रतीक थी। लेकिन जैसे-जैसे समय बदला, पितृसत्तात्मक संरचनाओं ने अधिकार ग्रहण कर लिए, जिससे नारी की स्वतंत्रता सीमित हो गई, उसकी आवाज़ दबा दी गई और उसका योगदान अनदेखा कर दिया गया।

1. 1 god is divine light emerged on time of chaos-int women day

और तब एक दिव्य प्रकाश प्रकट हुआ — न विरोध के कोलाहल से, न ही क्रांति के संघर्ष से, बल्कि एक दूरस्थ, अदृश्य लोक से, पार ब्रह्मतत्व से। वह निःशब्द, फिर भी शक्तिशाली रूप से अवतरित हुआ, जिसने हृदय और मस्तिष्क को आलोकित कर दिया, यह संकेत देते हुए कि परिवर्तन के एक नए युग का आरंभ होने वाला है।

1. 2 brahma kumaris spiritual movement-int women day

हर वर्ष, 8 मार्च को, संपूर्ण विश्व अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाता है—नारी की सहनशक्ति, उपलब्धियों और अधिकारों का सम्मान करते हुए। लेकिन बहुत पहले, 1930 के दशक से ही, ब्रह्माकुमारीज़ आध्यात्मिक आंदोलन नारी सशक्तिकरण के अग्रदूत के रूप में कार्यरत रहा है। उस युग में, जब महिलाओं को अपने भविष्य पर कोई अधिकार नहीं था, ब्रह्माकुमारीज़ ने उन्हें नेतृत्व, शिक्षा और सीमाओं से मुक्त होने का साहस प्रदान किया।

यह उनकी यात्रा है—परिवर्तन, शक्ति और आध्यात्मिक नेतृत्व की कहानी।

1. 3 how women became the pillars of brahma kumaris-int women day

कैसे नारी बनीं ब्रह्माकुमारीज़ की आधारशिला

1936 में, जब नारी के पास अपने जीवन पर कोई अधिकार नहीं था, तब कुछ अद्भुत घटित हुआ। भारत में एक समूह की महिलाएँ—जो अधिकांशतः युवा, अशिक्षित और रूढ़िवादी परिवारों से थीं—ने समाज की हर पारंपरिक धारा को चुनौती देते हुए नेतृत्व की भूमिका को अपनाया।

ईश्वरीय संकेतों और दृष्टि से प्रेरित होकर, प्रजापिता ब्रह्मा बाबा ने यह अनुभव किया कि सच्चा आध्यात्मिक नेतृत्व किसी एक लिंग तक सीमित नहीं हो सकता। दिव्य योजना में अटूट विश्वास रखते हुए, उन्होंने नारी शक्ति को ब्रह्माकुमारीज़ के भविष्य की जिम्मेदारी सौंपी, उन्हें ज्ञान, बुद्धि और निःस्वार्थ सेवा की मशाल थामने का अधिकार दिया।

यह एक क्रांतिकारी कदम था। उस समय जब महिलाओं को सार्वजनिक रूप से बोलने की भी अनुमति नहीं थी, ब्रह्मा बाबा ने कहा की कि वे ही मानवता की आध्यात्मिक माताएँ और मार्गदर्शक बनेंगी। यह केवल भूमिका देने की बात नहीं थी, बल्कि उनके भीतर निहित शक्ति को पहचानने और स्वीकार करने की थी।

और इन्हीं असाधारण नारियों में कुछ ऐसी भी थीं, जिन्होंने दिव्यता, शक्ति और बुद्धि की नई परिभाषा गढ़ते हुए सच्चे मार्गदर्शक सितारों के रूप में अपनी पहचान बनाई।

1. 4 mamma jagdamba saraswati-int women day

मम्मा (जगदंबा सरस्वती): पहली आध्यात्मिक मातृशक्ति

कल्पना करें, स्वतंत्रता-पूर्व भारत में एक 16 वर्षीया युवती की—एक ऐसा युग, जहाँ बेटियों से मौन रहने, आज्ञाकारी बनने और घर की चारदीवारी तक सीमित रहने की अपेक्षा की जाती थी। लेकिन इस युवा कन्या, जिसका नाम राधे था (बाद में जो मम्मा, जगदंबा सरस्वती के रूप में जानी गईं), ने कुछ अलग कर दिखाया।

जैसे-जैसे ओम मंडली (प्रारंभिक ब्रह्माकुमारीज़) का विस्तार हुआ, वैसे-वैसे अधिक महिलाएँ आत्म-सम्मान और आध्यात्मिक स्वतंत्रता की खोज में इससे जुड़ने लगीं। लेकिन इस सशक्तिकरण ने समाज में आक्रोश पैदा कर दिया। लोग यह स्वीकार नहीं कर सके कि महिलाएँ ब्रह्मचर्य को अपना रही थीं और पारंपरिक भूमिकाओं से आगे बढ़ रही थीं। झूठी अफवाहें फैलाई गईं, हिंसक विरोध हुआ, और उन्हें बंद करने के लिए कानूनी कार्रवाई तक की गई।

इन सब चुनौतियों के बीच, मम्मा अडिग रहीं। इतनी छोटी उम्र में भी उन्होंने अटल साहस का परिचय दिया। उन्होंने विरोध, आलोचना और धमकियों का सामना किया, फिर भी उनका चित्त शांत और निडर बना रहा।

प्रतिक्रिया देने के बजाय, उन्होंने शांति और विश्वास की किरण बिखेरी। यहाँ तक कि उनके आलोचक भी अंततः उनके प्रशंसक बन जाते। लोग कहते—
“यह साधारण नारी नहीं, यह तो दिव्य शक्ति है।”

1. 7 mamma becoming the spiritual mother-int women day

आध्यात्मिक मातृशक्ति बनना

मम्मा की बुद्धि और शक्ति को पहचानकर, ब्रह्मा बाबा ने उन्हें नेतृत्व की जिम्मेदारी सौंपी। वे यज्ञ माता जगदंबा बनीं और ब्रह्माकुमारीज़ की प्रथम पीढ़ी की शिक्षिकाओं को मार्गदर्शन व प्रशिक्षण देने लगीं।

अपनी उच्च स्थिति के बावजूद, वे सदा विनम्र रहीं—सभी के लिए सच्ची मातृशक्ति। स्वयं ब्रह्मा बाबा ने कहा:
“यदि आध्यात्मिक शक्ति को देखना हो, तो मम्मा को देखो।”

1. 8 brahma baba given name to mamma-int women day

इसी कारण, ब्रह्मा बाबा ने मम्मा को “जगदंबा सरस्वती” नाम दिया, क्योंकि वे माँ सरस्वती के गुणों की सजीव मूर्ति थीं—ज्ञान और पवित्रता की देवी। उनकी बुद्धि अद्भुत थी, आध्यात्मिक ज्ञान की गहरी समझ थी, और ईश्वरीय शिक्षाओं को स्पष्टता व मधुरता से समझाने की स्वाभाविक क्षमता थी।

उनके शब्दों में आत्माओं को चिकित्सित करने, उठाने और परिवर्तन करने की शक्ति थी, जैसे सरस्वती देवी दिव्य ज्ञान का प्रकाश फैलाने के लिए जानी जाती हैं।

1. 9 mamma’s eternal legacy-int women day

मम्मा की शाश्वत विरासत

1965 में मम्मा ने अपने शारीरिक जीवन की यात्रा पूर्ण की, लेकिन उनकी विरासत आज भी प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है। उन्होंने उस नींव को सुदृढ़ किया, जिस पर एक ऐसा आध्यात्मिक आंदोलन खड़ा हुआ, जो आज 110 से अधिक देशों में विस्तारित हो चुका है।

आज भी वे प्रेम और श्रद्धा से “मम्मा” कहलाती हैं—सिर्फ़ एक उपाधि के रूप में नहीं, बल्कि दिव्य प्रेम और शक्ति के प्रतीक रूप में।

उनकी कहानी केवल इतिहास नहीं, अपितु एक शाश्वत प्रेरणा है।

चिंतन:
सच्ची मातृत्व भावना का अर्थ आपके लिए क्या है?
क्या यह केवल जन्म देने तक सीमित है, या निःस्वार्थ प्रेम और पालना देने का भाव ही मातृत्व है?
आपके जीवन में कौन ऐसा रहा है जिसने “मम्मा” की भूमिका निभाई?

1. 10 dadi prakashmani _ the jewel of light-int women day

दादी प्रकाशमणि: प्रकाश का अमूल्य रत्न

जब मम्मा ने अपनी शारीरिक यात्रा पूर्ण की, तो इस निरंतर बढ़ते आध्यात्मिक परिवार के नेतृत्व की ज़िम्मेदारी दादी प्रकाशमणि पर आई। पहली नज़र में वे एक सहज, विनम्र महिला प्रतीत होती थीं, लेकिन उनकी सरलता के भीतर पर्वत जैसी अडिग शक्ति समाई हुई थी।

दादी प्रकाशमणि को “प्रकाश का रत्न” कहा जाता था। क्यों? क्योंकि जैसे हीरा प्रचंड दबाव में तपकर निखरता है, वैसे ही वे भी कठिनतम समय में सबसे अधिक प्रकाशित हुईं।

1. 11 everyones dadi prakashmani-int women day

1969 में जब ब्रह्मा बाबा ने अपनी शारीरिक यात्रा पूरी की, तो कई लोगों के मन में प्रश्न उठा—अब क्या होगा? संस्थापक चला गया, और संसार इस परिवर्तन को देख रहा था।

परंतु दादी प्रकाशमणि अडिग रहीं।

उन्होंने सबको एकत्र किया और सशक्त स्वर में कहा:
“बाबा गया नहीं है। वे हमारे साथ हैं। और हमारा लक्ष्य जोकि विश्व सेवा है वो तो अब प्रारंभ हुआ है।”

दादी प्रकाशमणि के नेतृत्व में, ब्रह्माकुमारीज़ ने भारत की सीमाओं को पार कर विश्व के कोने-कोने तक अपनी आध्यात्मिक ज्योति फैलाई। उन्होंने विश्व नेताओं से मुलाकात की, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भाषण दिए, फिर भी उनकी विनम्रता अटूट बनी रही—वे कभी नहीं भूलीं कि उनका पहला कर्तव्य सेवा था।

उनका प्रेम एक नदी के समान था—जो निरंतर बहती रही, हर उस आत्मा की प्यास बुझाती रही जो उनके पास आई।

दादी प्रकाशमणि ने ब्रह्माकुमारीज़ को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में यह संगठन वैश्विक स्तर पर विस्तृत हुआ, जिससे इसकी आध्यात्मिक सेवाओं को अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त हुई।

उनकी सबसे विशेष उपलब्धियों में से एक थी संयुक्त राष्ट्र (UN) से आधिकारिक मान्यता प्राप्त करना, जिससे ब्रह्माकुमारीज़ संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) बनीं।

इस ऐतिहासिक मान्यता ने सिद्ध किया कि आध्यात्मिकता न केवल व्यक्तिगत उत्थान बल्कि वैश्विक शांति और सामाजिक परिवर्तन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आज, ब्रह्माकुमारीज़ संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से योगदान देती हैं, विशेष रूप से नारी सशक्तिकरण, सतत विकास और शांति स्थापना के क्षेत्रों में।

चिंतन:

क्या आपने कभी ऐसा क्षण अनुभव किया है जब आपको अप्रत्याशित रूप से जिम्मेदारी लेनी पड़ी, भले ही आप तैयार महसूस न कर रहे हों?
आपने वह शक्ति कहाँ से प्राप्त की?

1. 14 dadi janki-int women day

दादी जानकी: अदम्य आत्मशक्ति

वे अजेय थीं। जिस उम्र में लोग विश्राम लेना पसंद करते हैं, उस उम्र में दादी जानकी महाद्वीपों की यात्रा कर रही थीं, व्याख्यान दे रही थीं, विशिष्ट व्यक्तित्वों से मिल रही थीं और अनगिनत जीवनों को रूपांतरित कर रही थीं।

1. 15 dadis core belief-int women day

उन्होंने एक मूल सिद्धांत को अपनाया:
“शुद्ध मन ही संसार की सबसे शक्तिशाली शक्ति है।”

1. 16 dadi janki delta women-int women day

यह केवल आध्यात्मिक अनुभव नहीं था—विज्ञान भी उनकी मानसिक शक्ति से चकित था।

1978 में, यूएसए के टेक्सास स्थित मेडिकल एंड साइंस रिसर्च इंस्टीट्यूट में वैज्ञानिकों ने उनके मस्तिष्क पर शोध किया और घोषणा की:
“हमने आज तक इतना स्थिर और शांत चित्त कभी नहीं देखा।”

1. 17 dadi janki says why worry-int women day

वह अक्सर कहा करती थीं:
“चिंता क्यों करें? यदि आपका बाबा (परमात्मा) में अटूट विश्वास है, तो सब कुछ ठीक हो जाएगा। अपना हृदय स्वच्छ रखो, जीवन स्वयं सहज हो जाएगा।”

यही था उनकी असीम ऊर्जा का रहस्य—एक ऐसा हृदय जो हर बोझ से मुक्त था।

चिंतन:

क्या आप किसी ऐसी बात को पकड़े हुए हैं जो आपको बोझिल बना रही है?
क्या आप इसे सिर्फ आज के लिए छोड़ सकते हैं?

1. 18 dadi gulzar_ the power of silence and peace-int women day

दादी गुलज़ार: शांति और मौन की शक्ति

एक ऐसा संसार, जहाँ नेतृत्व अक्सर शब्दों और कर्मों से आँका जाता है, वहाँ दादी गुलज़ार ने मौन के माध्यम से नेतृत्व किया—एक ऐसा मौन जो इतना गहरा था कि जो भी उनके समीप आता, वह शांति का अनुभव करता।

वे एक स्थिर जलाशय के समान थीं—जिसमें दिव्य ज्ञान, पवित्रता और अडिग स्थिरता प्रतिबिंबित होती थी।

जहाँ कुछ लोग आधिकार से नेतृत्व करते हैं, वहाँ दादी गुलज़ार ने मृदुता, शांति और आध्यात्मिक उपस्थिति से मार्गदर्शन किया।

1. 19 dadi gulzar medium for avyakt bapdada-int women day

उनकी सबसे महान सेवा थी अव्यक्त ब्रह्मा बाबा और शिव बाबा के आध्यात्मिक माध्यम के रूप में सेवाएँ निभाना—एक ऐसा दायित्व, जिसके लिए अत्यंत पवित्रता, स्थिरता और परमात्मा की इच्छा के प्रति सम्पूर्ण समर्पण आवश्यक था।

उनके माध्यम से, बाबा के दिव्य संदेश ब्रह्मा बाबा की शारीरिक यात्रा के पश्चात भी निरंतर प्रवाहित होते रहे, जिससे लाखों आत्माओं को मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। फिर भी, इतनी पवित्र और उच्च भूमिका निभाने के बावजूद, वे सदैव निर्मल, न्यारी और परमात्मा से गहराई से जुड़ी हुई रहीं।

1. 20 dadi gulzar silence power-int women day

वे अक्सर कहती थीं:
“अंतर में जाओ। अपने सत्य को खोजो। मौन में ही परमात्मा की आवाज़ सुनाई देती है।”

और वास्तव में, उनकी आंतरिक स्थिरता में वह शक्ति थी, जो दूसरों के मन के कोलाहल को भी शांत कर देती थी।

सिर्फ़ उनकी उपस्थिति में रहना भी एक गहरे शांति के अनुभव में ले जाता था—मानो संसार का शोर उनके मौन के सागर में विलीन हो जाता।

1. 21 diamond hall gathering-int women day

मधुबन, जो ब्रह्माकुमारीज़ का आध्यात्मिक मुख्यालय है, वहाँ दादी गुलज़ार ने एक ऐसा वातावरण निर्मित किया जो पूर्ण शांति, गहन योग और दिव्य संबंध से ओतप्रोत था। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि यह स्थान आत्माओं के लिए एक आध्यात्मिक तीर्थ, एक मौन और ईश्वरीय अनुभव का धाम बना रहे।

वे कभी भी प्रसिद्धि या पहचान की इच्छुक नहीं थीं—बल्कि उनकी मौन उपस्थिति ही शब्दों से अधिक प्रभावशाली थी।

2021 में जब उन्होंने अपनी शारीरिक यात्रा पूर्ण की, तब भी उनकी विरासत अमर बनी रहीशांति, समर्पण और आत्म-अभिमानी जीवन की प्रेरणा के रूप में।

उन्होंने सिद्ध किया कि सच्चा नेतृत्व सुना जाने के बारे में नहीं है, बल्कि ऐसा वातावरण बनाने के बारे में है, जहाँ आत्माएँ परमात्मा की आवाज़ सुन सकें।

1. 22 dadi ratan mohini current administrative head-int women day

दादी रतन मोहिनी: वर्तमान मुख्य प्रशासिका

25 मार्च 1925, हैदराबाद, सिंध में जन्मी दादी रतन मोहिनी ने बाल्यकाल से ही आध्यात्मिकता के प्रति गहरी रुचि दिखाई। मात्र 12 वर्ष की आयु में, जब उन्होंने ओम मंडली (जो आगे चलकर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय बना) का दर्शन किया, तो यह उनके जीवन का एक निर्णायक मोड़ बन गया।

दिव्य दृष्टि से प्रेरित होकर, उन्होंने अपना जीवन आध्यात्मिक सेवा और ब्रह्मचर्य के लिए समर्पित कर दिया, और राजयोग की शिक्षाओं को सम्पूर्ण श्रद्धा के साथ अपनाया।

अपने आध्यात्मिक सफर में, दादी रतन मोहिनी ने ब्रह्माकुमारीज़ के वैश्विक विस्तार में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

1954 में, उन्होंने जापान में आयोजित वर्ल्ड पीस कॉन्फ्रेंस में संगठन का प्रतिनिधित्व किया और आगे चलकर हांगकांग, सिंगापुर और मलेशिया में आध्यात्मिक सेवाओं का विस्तार किया।

वे मुंबई और लंदन सहित अनेक देशों में ब्रह्माकुमारीज़ के केंद्रों की स्थापना और सशक्तिकरण में भी सहायक रहीं।

1. 24 2025 administrative head of the brahma kumaris-int women day

आज, दादी रतन मोहिनी ब्रह्माकुमारीज़ की मुख्य प्रशासिका के रूप में अपनी शांति, प्रेम और दिव्यता की सौ वर्षीय यात्रा को निरंतर आगे बढ़ा रही हैं, और पूरे विश्व में करोड़ों आत्माओं को मार्गदर्शन और प्रेरणा दे रही हैं।

आज, 30,000 से अधिक महिलाए एक ऐसे संगठन को संचालित कर रही हैं, जिसमें 110 से अधिक देशों में दस लाख से भी अधिक विद्यार्थी जुड़े हुए हैं।

वे राजयोग सेवाकेंद्रों का संचालन, आध्यात्मिक ज्ञान की शिक्षा, सामाजिक सेवाओं का प्रबंधन, और लाखों आत्माओं को शांति  के मार्ग पर अग्रसर कर रही हैं।

और क्यों?

1. 26 shivbaba and brahma baba-int women day

यह सशक्तिकरण कोई साधारण परिवर्तन नहीं था—यह स्वयं परमात्मा (निराकार शिव) की योजना थी, जिसे ब्रह्मा बाबा ने मूर्त रूप दिया।

जब संसार ने कहा:
“नारी नरक का द्वार है”

तब ब्रह्मा बाबा ने दृढ़ता से कहा की:
“नारी स्वर्ग का द्वार है।”

और आज, यह आध्यात्मिक नारी सेना उनके शब्दों को सत्य सिद्ध कर रही है।

आज ब्रह्माकुमारीज़ में विभिन्न क्षेत्रों से आई महिलाएँ स्पष्टता और उद्देश्य के साथ अपना जीवन जी रही हैं। वे नई ऊँचाइयों को पाने का संकल्प रखती हैं और शक्ति व जिम्मेदारियों को आध्यात्मिकता के साथ संतुलित कर रही हैं।

A new era of feminine leadership int women day

नारी नेतृत्व का नया युग

ब्रह्माकुमारीज़ आंदोलन एक जीवंत प्रमाण है कि जब नारी को केवल बाहरी रूप से नहीं, बल्कि आध्यात्मिक रूप से सशक्त किया जाता है, तो क्या संभव हो सकता है।

उन्होंने अपने अधिकारों की माँग नहीं की।
बल्कि, वे इतनी शक्तिशाली बन गईं कि संसार को उन्हें स्वीकार करना ही पड़ा।

यह केवल ब्रह्माकुमारीज़ की कहानी नहीं है।

यह हर उस नारी की कहानी है, जिसे कभी यह कहा गया कि वह कमजोर है
और जिसने संसार को गलत साबित कर दिखाया।

और यह कहानी अभी भी लिखी जा रही है।

अंतिम चिंतन: आप अपनी कहानी कैसे लिखेंगे?

ओम शांति।

Adi Ratan - Instruments

The deeper the roots of a tree, the stronger and more durable it is. Similarly, how deep are the roots of renunciation and tapaya of the people who run any organization, that organization is equally powerful, long-lived and free of obstacles. Prajapita Brahma Kumaris Ishwariya Vishwa Vidyalaya is a unique organization in this sense. Each and every founding member of this organization (Adi Ratna), are such ascetics who, keeping themselves, their sacrifices a secret, tirelessly, selflessly under the guidance of the Almighty, did spiritual service for humanity.

Related

1. Wildlife day featured image conservation hindi

विश्व वन्यजीव दिवस: प्रकृति के साथ हमारे गहरे संबंध की आध्यात्मिक अनुभूति

विश्व वन्यजीव दिवस केवल जैव विविधता की सुरक्षा का संदेश नहीं देता, बल्कि हमें प्रकृति और आध्यात्मिकता के गहरे संबंध

Read More »
Jal jan abhiyan article 1

जल – जन अभियान

जल – जन अभियान धरती के समस्त प्राणियों, वनस्पतियों एवं जीव-जन्तुओं में जीवन-शक्ति का संचार करने वाली जल की बूंदे

Read More »
सदा व निरंतर रहने वाली खुशी का रहस्य

सदा व निरंतर रहने वाली प्रसन्नता का रहस्य – अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस

क्या सदा रहने वाली प्रसन्नता संभव है? सच्ची प्रसन्नता बाहरी चीज़ों में नहीं, बल्कि हमारे भीतर है! जानिए कैसे योग,

Read More »
Sahaj rajyoga sarvochya manovaigyanik chikitsa paddhati

सहज राजयोग-सर्वोच्च मनोवैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति-अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस

मानसिक बीमारी शारीरिक बीमारी से कई गुना हानिकारक होती है। भगवान शिवपिता का सिखाया हुआ सहज राजयोग मानसिक विकारों को

Read More »