महिला सशक्तिकरण का अनूठा कार्य
प्रकृति का शाश्वत नियम है रात के बाद दिन और दिन के बाद रात आने का। ठीक उसी तरह जब-जब मानव अपने धर्म-कर्म-मर्यादाओं से गिर जाता है तब-तब कोई न कोई प्रकाश की किरण ऊपर
प्रकृति का शाश्वत नियम है रात के बाद दिन और दिन के बाद रात आने का। ठीक उसी तरह जब-जब मानव अपने धर्म-कर्म-मर्यादाओं से गिर जाता है तब-तब कोई न कोई प्रकाश की किरण ऊपर
ये वृतान्त सन् 1953 का है। तब इस ईश्वरीय विश्व विद्यालय का मुख्यालय भरतपुर के महाराजा की ‘बृजकोठी’ में स्थित था। यह कोठी आज भी माउण्ट आबू में, वर्तमान बस अड्डे से कोई डेढ़ फर्लांग
Whilst in Karachi, Brahma Baba taught knowledge to the growing family of children, teaching through example as much as through precept. And with the power of meditation (yoga), the souls who had faith in God
हम हृदयंगम करते (दिल से कहते ) हैं कि भगवान हमारा साथी है। भगवान हमारा साथी बना, उसने कब, कैसे साथ दिया यह अनुभव सबको है। एक है सैद्धान्तिक ज्ञान कि अपने हाथ परमात्मा के
एक बाबा ही हमारा संसार है। गीत के थोड़े-थोड़े शब्दों में भी बहुत दफा बहुत ज्ञान भरा हुआ रहता है। एक बाबा ही हमारा संसार है। इसका क्या मतलब है? शब्दार्थ को तो कोई कुछ
ब्रह्मा बाबा अपने लौकिक जीवन में खिदरपुर के बादशाह के रूप में प्रसिद्ध थे। उनके घर पर चार-चार सेविकाएँ थीं और भारत भर में कई स्थानों पर उनका हीरे-जवाहरात का व्यापार चलता था। अनेक सहयोगियों,
साकार ब्रह्मा बाबा के जीवन पर जब मन की नज़र डालते हैं तो पाते हैं कि उन्होंने हर पल, हर श्वास दूसरों को दिया ही दिया। जो भी उनके संपर्क में आया, उसे उन्होंने चन्दन-सम
प्रसन्नचित्त यह घटना जून 1956 की है| जब बाबा की शारीरिक आयु 78 से 79 वर्ष की होगी| अनायास ही बाबा को एक शारीरिक व्याधि ने आ घेरा| आबू के स्थानीय डॉक्टर एवं सिविल सर्जन
When we mention the birth place of Brahma Baba, we say that he had his physical birth in Sindh. But, his personality and character were such that he belonged to the world and not only
So invaluable was Godly knowledge to Baba that he had given clear instructions that the literature thereon should not be sold, for selling according to him simply meant putting a price on it, while, in
His whole life‐story is by itself a story of the highest form of spiritual love. Just as a lover or a beloved offers his or her all at the altar of love, so did Baba,
His whole life‐story is by itself a story of the highest form of spiritual love. Just as a lover or a beloved offers his or her all at the altar of love, so did Baba,
Brahma Baba’s life and acts have left, in the minds of those who came in touch with him, very happy and cherished memories of the visit of an angel that he was, for his acts,
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के साकार संस्थापक पिताश्री प्रजापिता ब्रह्मा के नाम से आज जन-जन भिज्ञ हो चुका है। सन् 1937 से सन् 1969 तक की 33 वर्ष की अवधि में तपस्यारत रह वे
कहा जाता है कि भगवान ने मानव को अपने जैसा बनाया अर्थात् अपने समान गुणों से संपन्न देवी-देवता बनाया परन्तु समय अनवरत गति से बहता है और समय के साथ-साथ परिवर्तन भी अनवरत होता रहता
18th January, Smriti Divas (Day of Remembrance) is one of the most celebrated occasions across all the centres of Brahma Kumaris in the world. On the same day, in 1969, Brahma Baba left his corporeal
Dada Lekharaj was born in a village in Sindh Hyderabad, now Pakistan. He had a spiritual bent of mind. Due to his hard work and dedication, he rose to become a diamond merchant. His business
Start your day with a breeze of positivity and stay motivated with these daily affirmations
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